नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी : वर्षों के शोध और कठिन परिश्रम का परिणाम है पूर्ण रूप से विकसित दवा : धर्मेंद्र सिंह

जमशेदपुर : राष्ट्रीय फार्मेसी दिवस पर नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के नेताजी सुभाष फार्मेसी संस्थान की ओर से "फार्मासिस्ट्स : मीटिंग्स ग्लोबल हेल्थ नीड्स" विषय पर एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भारतीय फार्मेसी परिषद (पीसीआई) के कार्यकारी समिति के सदस्य धर्मेंद्र सिंह थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 'उचित दवाओं के अभाव में चिकित्सा जगत में विभिन्न रोगों का उपचार करना संभव नहीं है। वर्षों शोध और कठिन परिश्रम करना पड़ता है तब एक पूर्ण रूप से प्रभावकारी  दवा तैयार हो पाती है। आज गंभीर से गंभीर रोगों के उपचार के लिए भी हमारे पास कारगर दवा उपलब्ध है।

 

विभिन्न अस्पतालों के फार्मा प्रमुखों ने रखे विचार
कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में  विभिन्न अस्पतालों से आया पांच सम्मानित और प्रतिष्ठित अतिथि वक्ताओं ने शिरकत की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में टीएमएच के मुख्य फर्मासिस्ट अविनाश चौधरी, एमजीएम अस्पताल के देबरत भगत, सदर अस्पताल जमशेदपुर के आमोद कुमार, टीएमएच मेडिकल स्टोर के प्रभारी अधिकारी बिकाशकोली दास तथा टीएमएछ के वरिष्ठ फर्मासिस्ट बिधु भूषण भुइयां उपस्थित थे। सेमिनार के अगले चरण में संस्थान के विभिन्न सत्रों के विद्यार्थियों ने क्विज, फ़ूड फेस्टिवल, पोस्टर प्रेजेंटेशन, हेल्थ कैम्प समेत विभिन्न शैक्षणिक सह सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया। फार्मा विभाग के सभी सदस्यों और अतिथियों ने सयुंक्त रूप से वृक्षारोपण के साथ इस दिवस के महत्व को स्थापित किया। बी.फार्मा की छात्रा सुमैय्या अशरफ ने वृक्षों को दवाइयों का नींव बताया। उन्होंने कहा कि वृक्षों की वजह से ही पर्यावरण और जीवों को बचाया जा सकता है। 

इससे पूर्व प्राचार्य एवं अतिथियों संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद साई वंदना और राष्ट्रगान हरुआ। प्राचार्य प्रो. (डॉ.) दिलीप कुमार ब्रह्मा ने स्वागत भाषण किया और कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी। 

इस आयोजन पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह ने फार्मेसी संस्थान के सभी संकाय सदस्यों और विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि  'चिकित्सा के क्षेत्र में फार्मेसी के विभिन्न आयामों और फार्मासिस्टों का योगदान अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। चिकित्सा जगत में सही दवाओं के बिना उचित इलाज की कल्पना नहीं की जा सकती। कोविड के दौर में हम सबने यह देखा है कि एक वैक्सीन को बनाने में पूरे विश्व के शोध संस्थानों ने कितना परिश्रम किया और जबतक हमारे पास वैक्सीन उपलब्ध नहीं हुए तबतक उपलब्ध दवाओं के आधार पर ही हमने कोविड जैसी महामारी का सामना किया। कार्यक्रम में विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

खबरें और भी हैं...