सरायकेला: पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरन के शागिर्दों ने शुरू किया झामुमो का विस्तार

सरायकेला: पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद झामुमो सरायकेला के लेकर कोल्हान के सभी 14 विधानसभा सीटों पर डैमेज कंट्रोल करने की पुरजोर कोशिश कर रही है. पार्टी के कार्यकर्ता एकजुट रहे इसका बीड़ा पार्टी के तमाम मंत्री, विधायक और सांसद उठा रहे हैं और लगातार अलग- अलग कार्यक्रम के जरिए पार्टी के कार्यकर्ताओं को संगठित करने में जुटे हैं. 

सरायकेला विधानसभा के दो युवा नेता जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरन से राजनीति का ककहरा सीखा भुगलू सोरेन उर्फ डब्बा सोरेन और कृष्णा बास्के ने अब पार्टी को एकजुट करने का बीड़ा अपने कंधे पर ले लिया है और गांव- गांव घूम घूमकर झामुमो के समर्थकों को एकबार फिर से संगठित करते हुए फिर से सक्रिय करने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं. इसमें झामुमो केंदीय कार्यसमिति सदस्य गणेश चौधरी, जिलाध्यक्ष डॉ शुभेंदु महतो, उपाध्यक्ष अमृत महतो, गोपाल महतो, रामदास टुडू पूरी सक्रियता दिखा रहे हैं. 

मंगलवार को कांड्रा एसकेजी मैदान में आयोजित सदस्यता ग्रहण सह मिलन समारोह में डब्बा सोरेन और कृष्णा बास्के के नेतृत्व में बीजेपी छोड़ सैकड़ों महिला- पुरुष और युवाओं ने झामुमो का दामन थामा. कई ने घर वापसी की. इसमें बड़ा चेहरा पूर्व जिला परिषद सदस्य और दो बार झामुमो के जिलाध्यक्ष रहे सुधीर महतो का रहा. उन्होंने भी अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ झामुमो में वापसी की. इससे पूर्व डब्बा सोरेन के नेतृत्व में रैली की शक्ल में महिलाएं कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची. सभी का मंत्री रामदास सोरेन, विधायक सविता महतो, पूर्व मंत्री मथुरा महतो, जिला अध्यक्ष डॉक्टर शुभेंदु महतो आदि ने पार्टी का अंग वस्त्र देकर पार्टी में शामिल कराया और आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनाने का संकल्प दिलाया. 

अपने संबोधन में मंत्री रामदास सोरेन ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पर जमकर निशाना साधा और कहा राजनीतिक स्वार्थ के लिए उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा को धोखा दिया. अब बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं. डेमोग्राफी परिवर्तन केवल संथाल में नहीं हुआ है. पूरे राज्य में इसका असर है. इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार है. बीजेपी के प्रभाव में आकर पूर्व मुख्यमंत्री ऐसे अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. बीजेपी भाई- भाई को लड़ने वाली पार्टी है. राज्य सरकार लगातार यहां के आदिवासी- मूलवासियों, गरीबों- दलितों और पिछड़ों के हित में काम कर रही है. आगामी विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर एक बार फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनाने का संकल्प ले.

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