सरायकेला : सरकारी अनाजों को गोदाम से डीलर तक पहुंचाने में डीएसडी यानी डोर स्टेप डिलीवरी संवेदक की बड़ी भूमिका है. मगर जरा सोचिए यदि डीएसडी लापरवाही बरते तो इसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ेगा. जाहिर सी बात है इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना होगा मगर हैरानी की बात ये है कि इसकी जानकारी न तो एमओ को है न विभाग के बड़े बाबुओं को. मामला सरयाकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड का है. जहां गोदाम में अनाज भरा होने के बाद भी डीएसडी की लापरवाही या यूं कहें मनमानी से गोदाम से अनाज डीलरों तक तय समय से नहीं पहुंच पाता. नतीजतन उपभोक्ताओं को समय पर राशन नहीं मिल पाता जिससे न केवल विभाग बल्कि सरकार की भी किरकिरी हो रही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर विभाग के बाबू किस निद्रा में सोए हैं. जब हमारी टीम ने पड़ताल किया तो बेहद ही चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया. बता दे कि एग्रीमेंट के मुताबिक गम्हरिया प्रखंड के लिए डीएसडी को 16 गाड़ियों से अनाज डीलरों तक पहुंचाना है मगर पिछले कई महीनो से एक या दो गाड़ी से खाद्यान्न का उठाव हो रहा है. इस माह का अनाज डीलरों तक 20 प्रतिशत भी नहीं पहुंचा है. डीएसडी विनोद प्रधान द्वारा मात्र तीन गाड़ियों से अनाज डीलरों तक पहुंचाया रहा है. उन गाड़ियों में ना तो जीपीएस ही लगा है और ना ही इलेक्ट्रॉनिक कांटा रहता है. गोदाम से निकलने वाले अनाज गाड़ियों सहित वजन धर्म कांटा में किया जाता है जो कि नियम के विरुद्ध है. डीएसडी को डीलरों के दुकान में भार मापक यंत्र से प्रत्येक बोरा अनाज का वजन करके देने का प्रावधान है, लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है. इसका कारण डीएसडी की ऊपर तक पहुंच को बताया जाता है. अगर कोई डीलर इसका विरोध करता है तो उसे धमकी भी दी जाती है. इसको लेकर जब डीएसडी विनोद प्रधान से हमारी टीम ने बात की तो उन्होंने क्या कहा जरा आप भी सुन लीजिए.....
सुना आपने साहब पिछले 3 महीने से बीमार चल रहे थे. मतलब यदि आप बीमार हैं तो उपभोक्ताओं तक राशन नहीं पहुंचेगा. जरा सोचिए जिसके जिम्मे प्रखंड के डीलरों तक सरकारी राशन पहुंचाना है वह बीमार पड़ जाए तो उपभोक्ताओं तक राशन कैसे पहुंचेगा ? इसका जवाब जब हमारी टीम ने विभागीय पदाधिकारी से लेना चाहा तो उनका क्या कहना है जरा आप भी सुन लीजिए......
कुमार अरविंद बेदिया (सीओ सह एमओ गम्हरिया अंचल)
सुना आपने ये जनाब एमओ हैं. इनके जिम्मे सरकारी अनाजों को समय पर डीलरों तक पहुंचाने, उसकी निगरानी करने और उपभोक्ताओं के चेहरे पर मुस्कान लाने की है. वैसे साहब प्रभार में हैं. उन्हें इसकी जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली तब उन्होंने कहा कि डीएसडी को शोकॉज किया जाएगा. इसे हास्यास्पद कहें या सरकारी उदासीनता यह हम आप पर छोड़ते हैं. इतना तो तय है कि सरकारी अनाज के खेल में घून बगैर विभाग के मिलीभगत से नहीं लग सकता. जरूरत है ऐसे घून को चिन्हित कर कार्रवाई करने की.