रांची: झारखंड के 24 जिलों में केवल नौ जिलों के बालू घाटों का ही डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) बन सका है. 15 जिलों में अभी भी डीएसआर बनाने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं डीसीआर जब तक तैयार नहीं हो जाता, तब तक बालू घाटों के माइंस डेवलपर ऑपरेटर (एमडीओ) के चयन के लिए टेंडर नहीं हो सकता.
सूत्रों की मानें तो अभी भी इस प्रक्रिया में चार से पांच माह का समय लग सकता है, इधर वैध रूप से बालू घाटों का टेंडर न होने की वजह से पूरे राज्य में अवैध कारोबार जोरो पर है. वजह है कि झारखंड के 608 बालू घाटों में केवल 21 बालू घाट ही चालू हैं, जहां से वैध रूप से बालू का उठाव हो रहा है.
डीएसआर नहीं तो टेंडर नहीं
झारखंड सरकार ने 16.8.2017 को झारखंड स्टेट सैंड माइनिंग पॉलिसी-2017 बनाया था, इसके तहत कैटगरी दो के सभी बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी को ही करना है, हालांकि इसके बाद से ही टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन कभी टेंडर पूरा नहीं हो सका है. कैटगरी दो राज्य में 608 बालू घाट चिन्हित हैं.