धनबाद का आशीर्वाद अपार्टमेंट अग्निकांड: 14 लोगों की मौत में व्यवस्था की खामियां हुई उजागर, जानिए विस्तार से

धनबाद : धनबाद में एक सप्ताह के भीतर आगजनी की यह दूसरी बड़ी घटना है. इससे दो दिन पहले शहर के हाजरा अस्पताल में भी आग लगी थी, जिसमें डाक्टर दंपति समेत छह लोगों की मौत हो गई थी.

धनबाद शहर में मंगलवार (31.01.2023) की देर शाम आगजनी की बड़ी घटना हुई है. यह घटना शहर के बैंक मोड़ थाना क्षेत्र के व्यस्ततम जोड़ा फाटक रोड स्थित शक्ति मंदिर के समीप 13 मंजिला आशीर्वाद ट्विन टावर अपार्टमेंट में घटी है, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 10 महिलाएं, 3 बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं, जबकि कई लोग घायल हैं. बताया जाता है इस अपार्टमेंट में करीब 100 फ्लैट हैं.. इनमें करीब 400 से अधिक लोग रहते हैं. इस इलाके का यह सबसे बड़ा अपार्टमेंट है. बताया जाता है कि आग पहले अपार्टमेंट के दूसरे तल्ले पर लगी. इसके बाद यह आग तीसरे तल्ले पर पहुंच गई. देखते ही देखते आग ने भयावह रूप ले लिया और 14 लोगों की मौत का कारण बना. घटना की पड़ताल करने के बाद व्यवस्था की तमाम खामियां उजागर हुईं हैं. आखिर इसके लिए कौन जिम्मेवार है? आखिर इस बात की गारंटी कौन देगा कि भविष्य में ऐसी दुखद व दर्दनाक घटना फिर से न हो.

घटना के दौरान व्यवस्था की खामियां हुईं उजागर

सूत्रों के मुताबिक अपार्टमेंट के अंदर आग लगने से सुरक्षा का कोई भी तंत्र काम नहीं कर रहा था. घटना के बाद दमकल की दो गाड़ियां ही अपार्टमेंट में प्रवेश कर पा रही थीं दमकल की अन्य गाड़ियों को अपार्टमेंट के बाहर ही रखा गया था. दो गाड़ियों में पानी खत्म हो जाने के बाद फिर से अपार्टमेंट में दमकल की गाड़ियों को प्रवेश कराया जा रहा था.

बहुमंजली इमारतों में क्या होने चाहिए आग से सुरक्षा के इंतजाम

भारत में गगनचुंबी बिल्डिंग/इमारतों में आग लगने से होने वाली मौतों को रोकने के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी), 2016 में निर्धारित आग से सुरक्षा के कुछ नियम व कानून तय किए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से अप्रूवल प्रक्रिया, सीढ़ी बनाने के नियम, फायर फाइटिंग मापदंड, लिफ्ट नार्म आदि शामिल हैं.

गौरतलब है कि एनबीसी एक राष्ट्रीय इंस्ट्रूमेंट है जो देश में बिल्डिंग/इमारतों के सुरक्षित और व्यवस्थित डेवलपमेंट के लिए महत्वपूर्ण कंस्ट्रक्शन नार्म्स का वर्णन करता है. एनबीसी कई फायर सेफ्टी नार्म्स का डाक्यूमेंटेशन करता है. नियमानुसार कोई भी डेवलपर जो एनबीसी द्वारा तय मानकों का पालन करने में विफल रहता है, उसे दंड भुगतना होगा, बिल्डिंग परमिट रद्द करना होगा या प्रोपर्टी को गिराना होगा. एनबीसी में भारतीय बिल्डिंग/ इमारतों में आग को नियंत्रित करने और रोकने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश और प्रावधान भी शामिल हैं.

पड़ताल में यह बात सामने आई है कि धनबाद शहर में स्थित आशीर्वाद टावर अपार्टमेंट में आग से सुरक्षा के सभी तय मानकों को ताक पर रख दिया गया है. इसमें धनबाद नगर निगम व अग्निशमन (फायर बिग्रेड) सरकार के दोनों प्रमुख विभागों के भ्रष्ट तंत्र को सीधे तौर पर जिम्मेवार बताया गया है, क्योंकि धनबाद नगर निगम द्वारा पास किए गए नक्शा पर ही इस अपार्टमेंट का निर्माण किया गया है, वहीं अपार्टमेंट में आग से बचाव के साधनों को अप्रूव करने की जिम्मेवारी अग्निशमन विभाग की है. हमारी पड़ताल में यह बात साफ तौर पर उभरकर सामने आई है कि इस अपार्टमेंट के निर्माण में रेरा (रियल एस्टेट एक्ट)  और एनबीसी की आग से बचाव के नियमों का पालन नहीं किया गया है. नियमानुसार ग्राउंड लेवल से 15 मीटर ऊपर या तीन मंजिल से अधिक की इमारत को गगनचुंबी स्ट्रक्चर माना जाता है. ऐसे किसी भी स्ट्रक्चर का निर्माण शुरू करने से पहले अग्निशमन विभाग के अधिकृत विभाग के अधिकृत अधिकारी से अप्रूवल का सर्टिफिकेट लेना होता है. मगर आशीर्वाद ट्विन टावर अपार्टमेंट में ऐसे किसी भी जरूरी नियम का पालन नहीं किया गया.

नियमानुसार बिल्डिंग की हर मंजिल में आग लगने के दौरान प्रत्येक फ्लोर में आग लगने के दौरान तेजी से निकासी के लिए दो सीढ़ियां होनी चाहिए. इसके अलावा सीढ़ियों की चौड़ाई कम से कम दो मीटर होनी चाहिए, क्योंकि संकरी सीढ़ी निकासी के समय जोखिम बढ़ा देती है, जबकि आशीर्वाद ट्विन टावर अपार्टमेंट की इस बिल्डिंग की सीढ़ियां काफी पतली हैं. इस वजह से यहां मंगलवार को हुई घटना में सीढ़ियों पर ही कुछ लोगों की जान चली गई.

फायर फाइटिंग मापदंड की हुई अनदेखी
बिल्डिंग में एक हजार लीटर प्रति मिनट की दर से फेंकने वाले स्थिर विशाल पानी का स्टोरेज उपलब्ध होना चाहिए. बेसमेंट में आटोमेटिक स्प्रिंकलर भी इंस्टाल किया जाना चाहिए. इसके अलावा आशीर्वाद ट्विन टावर अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग मापदंड व  लिफ्ट नार्म की भी पूरी तरह से अनदेखी की गई है.

एनबीसी कई फायर सेफ्टी नार्म्स का डाक्यूमेंटेशन करता है, मगर अक्सर यह देखा गया है कि समय और पैसा बचाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले डेवलपर्स आग के प्रकोप के प्रमुख कारण रहे हैं. फायर ऑडिट करने में राज्य सरकारों की लापरवाही भी एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है. निश्चित रूप से झारखंड प्रदेश में भी आगजनी की जो बड़ी घटनाएं सामने रही हैं, उनमें भी कहीं न कहीं सरकार के किसी तंत्र की लापरवाही के कारण ही ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनमें लोगों की जान जाती है.
 

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