हाता: राज्य सरकार द्वारा विगत दिनों घोषणा की गयी नई नियोजन नियमावली नीति में राज्यस्तरीय एवं जिला स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षाओं में भूमिज समेत कई अन्य जनजातीय भाषाओं को क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा की सूची से बाहर कर हेमंत सरकार की भूमिज व जनजातीय विरोधी नीति को दर्शाता है. उक्त बातें भाजपा युवा मोर्चा जमशेदपुर महानगर के जिला मंत्री गणेश सरदार ने हाता में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कही.
इस सम्मेलन में नेताओं ने कहा कि इसके पूर्व रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने भूमिज भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था एवं राज्य सरकार के नियुक्ति नियमावली में विभिन्न प्रतियोगिता परिक्षाओं में तीन जिला पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम एवं सरायकेला में भूमिज को जनजातीय भाषा के रूप में सूचीबद्ध कर विलुप्त होती जा रही भूमिज भाषा को संरक्षित करने का काम किया था परंतु वर्तमान हेमन्त सोरेन की सरकार ने नयी नियोजन नियमावली नीति में भूमिज भाषा समेत कई अन्य जनजातीय भाषाओं को सूची से हटा दिया है.
इस संशोधित नई नियोजन नियमावली के मुताबिक राज्य के सभी जिलों में चिन्हित संथाली, हो, मुंडारी (मुंडा), कुड़माली, खोरठा, खड़िया, हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, उर्दू, संस्कृत, कुड़ुख (उरांव), नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया सिर्फ 15 भाषा को ही क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा के रूप में चिन्हित किया गया है. नेताओं ने कहा कि एक तरफ झामुमो अपने को आदिवासियों का सबसे बड़ा हितैषी बताता है परंतु इनके सरकार में जनजातीय भाषा को संरक्षित एवं विकसित करने की बजाय इसे विलुप्त करने की साजिश की जा रही है. इससे भूमिज समाज में काफी रोष है. नेताओं ने राज्य सरकार से मांग किया कि नयी नियुक्ति नियमावली की सूची में अविलंब भूमिज भाषा को शामिल किया जाय अन्यथा जोरदार आंदोलन किया जाएगा. इस संबंध में बहुत ही जल्द मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा. इस संवाददाता सम्मेलन में मुख्य रूप से भाजपा किसान मोर्चा पोटका मंडल अध्यक्ष सपन मित्रा, घासी राम सरदार, करणवीर गोप आदि उपस्थित थे.



