जमशेदपुर : प्रत्येक साल 900 अस्थाई कर्मचारियों का स्थाईकरण होगा. गुरुवार को रांची में श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में हुई त्रिपक्षीय वार्ता के बाद समझौता पर हस्ताक्षर किया गया, इस फैसले से खुश कर्मचारियों ने जमकर आतिशबाजी की और मुंह मीठा करा कर इस फैसले को ऐतिहासिक बताया ।
-टाटा मोटर्स के वाइस प्रेसिडेंट विशाल बादशाह, टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते और यूनियन के महामंत्री आर के सिंह के बीच समझौता पर हस्ताक्षर किया गया जिसमें श्रम आयुक्त खुद हस्ताक्षरी थे. समझौता के तहत हर 3 महीने में 225 लोगों का स्थाईकरण होगा यानी साल में 900 लोगों का स्थायीकरण होगा. पहले तो यह तय हुआ था कि करीब 600 लोगों का ही स्थाईकरण हर साल किया जा सकता है. इसके अलावा टाटा मोटर्स प्रबंधन ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि जो भी कर्मचारी स्थाई होंगे उनका स्थानांतरण दूसरे प्लांट में किया जाएगा. बाद में टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन ने मोर्चा संभाला. अपनी डिमांड रखी कि हर हाल में 900 अस्थाई कर्मचारियों का हर साल स्थाईकरण होना चाहिए. काफी दिनों तक लंबी वार्ता के बाद बुधवार तक यह तय हुआ था कि करीब 850 कर्मचारियों काइसकी जानकारी आपको शार्प भारत ने एक दिन पहले ही दे दी थी. गुरुवार को श्रमायुक्त के स्तर पर हुई वार्ता के बाद अंततः 900 अस्थाई कर्मचारियों के स्थाईकरण पर मुहर लग गई. यह भी तय हो गया कि सारे कर्मचारी टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में ही काम करेंगे.
उनका कहीं और तबादला नहीं होगा. इस तरह टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन किया बड़ी जीत हो गई है. गुरुवार को गणतंत्र दिवस के पहले टाटा मोटर्स प्रबंधन और यूनियन के बीच ऐतिहासिक समझोता हा गया, जिसम 2700 अस्थायी कर्मचारियों के स्थायीकरण का रास्ता खुल जायेगा. गौरतलब है कि टाटा मोटर्स प्रबंधन ने 2700 अस्थायी कर्मचारियों का एक साथ स्थायीकरण करने के लिए प्रस्ताव सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि हर साल 600 कर्मचारियों का स्थायीकरण वे लोग साल में करने का प्रस्ताव दिया था. टाटा मोटर्स में अभी करीब 5600 स्थायी कर्मचारी है. यह संख्या अन्य प्लांट के प्रोडक्टिविटी से काफी अधिक है. लेकिन इसके बावजूद इसका रास्ता खुल गया. इसके बाद कर्मचारियों की कुल संख्या 8300 हो जायेंगे. वैसे हर माह करीवैसे हर माह करीब 15 से 20 कर्मचारी रिटायर होते है. ऐसे में साल में करीब 250 से अधिक कर्मचारी रिटायर भी करते है. सबका एक जगह पोस्टिंग में दिक्कतें हो सकती है.1972 और 2005 के बाद अभी होने जा रहा है एक साथ स्थायीकरण का समझौता टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में स्थायीकरण को लेकर इससे पहले दो बार समझौता हो चुका है. टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट की स्था हुई थी. पहले इसका नाम टेल्को हुआ करता था, बाद में संयुक्त बिहार में कर्मचारियों के बच्चों की बहाली को लेकर वर्ष 1972 में समझौता हुआ था, जिसमें कर्मचारी पुत्रों को ट्रेनिंग देने के बाद नौकरी देन पर सहमति बनी थी. बाद में वर्ष 2005 में तत्कालीन श्रमायुक्त निधि खरे की अध्यक्षता में मीटिंग हुई थी, जिसमें एक साथ 200 कर्मचारी पुत्रों को हर साल नियोजित करने पर सहमति बनी थी.



