जमशेदपुर : श्रीनाथ यूनिवर्सिटी ने श्रीनाथ कॉलेज ऑफ एजुकेशन के सहयोग से एनईपी 2020 के बाद भारत में उच्च शिक्षा-विस्तार, गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया है
संगोष्ठी का आरंभ सम्मानित गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. संगोष्ठी के पहले दिन एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक करुणेश के. शुक्ला मुख्य अतिथि की नोट स्पीकर डॉ.आर.के.यादव सी वी रमन यूनिवर्सिटी बिलासपुर छत्तीसगढ़, उपस्थित थे. इसके अतिरिक्त अतिथि के रूप में डॉ.संजय भुईयां विभागाध्यक्ष जमशेदपुर विमेंस युनिवर्सिटी, डॉ.मनोज कुमार एसोसिएट प्रोफेसर कोल्हान विश्वविद्यालय एवं डॉ संध्या सिन्हा विभागाध्यक्ष, संजय मिश्र संपादक प्रभात खबर उपस्थित थे. डॉ. मुकुल खंडेलवाल, डॉ. कल्याणी कबीर उपस्थित थीं.
मुख्य अतिथि डॉ. के.के. शुक्ला ने कहा कि "कोई भी नीति खराब नहीं होती, समस्या केवल क्रियान्वयन में होती है".
"एनईपी 2020 को लागू करने की जिम्मेदारी हम शिक्षकों की है"
उच्च शिक्षा में गुणवत्ता से समझौता किए बिना आसान पहुंच, समानता, समावेशिता होनी चाहिए. शिक्षा का अंतिम लक्ष्य अवसरों की समानता प्रदान करना है। जेईई मेन के संबंध में, उन्होंने स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बारे में बात की, जहां 15 लाख से अधिक छात्र प्रवेश देते हैं और केवल 15000 ही प्रवेश पाते हैं।
उन्होंने कहा कि भावनात्मक कल्याण समग्र शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। वह बिना ज्ञान प्राप्त किए, छात्रों की रटने की प्रवृत्ति की आलोचना करते हैं। छात्रों को सबसे पहले अच्छा इंसान बनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। छात्रों को जागरूक करना आवश्यक है और इन सबसे ऊपर, शिक्षकों को छात्रों के बौद्धिक कल्याण का विकास करना होगा।
आर.के. यादव जो सेमिनार के नोट स्पीकर ने कहा कि छात्रों को एनईपी 2020 के पूरे दस्तावेज़ को भी पढ़ना चाहिए। उन्होंने एनईपी 2020 के पाठ्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। उच्च शिक्षा की सामान्य विशेषताओं और एनईपी 2020 द्वारा किए गए सुधारों पर उनके द्वारा प्रकाश डाला गया। अलग-अलग सीखने की पृष्ठभूमि और क्षमताओं वाले छात्रों को उनके ज्ञान के स्तर के अनुसार अलग-अलग व्यवहार करना होगा।
डॉ .मुकुल खंडेलवाल ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वूमेन के प्राचार्या ने योग और शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन के बुनियादी विषयों के महत्व पर बातें कहीं। उन्होंने विस्तार से बताया कि शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य है छात्रों को नैतिक रूप से सही बनाना । यह नई नीति हमें भारतीय परंपरा के करीब ले जा रही है।
पटमदा डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुमंत कुमार सेन ने नई नीति के अनुसार पाठ्यक्रम की संरचना और उसमें समायोजन के बारे में गहन जानकारी दी।
रंभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन की प्राचार्या डॉ. कल्याणी कबीर ने एनईपी 2020 को लागू करने में शिक्षकों और छात्रों की जिम्मेदारी पर जोर दिया। वह छात्रों की मातृभाषा में ज्ञान बांटने के महत्व के बारे में बातें कहीं। यह नीति छात्र-केंद्रित है और शिक्षा प्रणाली में लचीलापन प्रदान करती है। छात्रों को जीवन के किसी भी मोड़ पर जो कुछ भी वे चाहते हैं सीखने की स्वतंत्रता है।
कुलपति डॉ. गोविंद महतो ने कहा की हमारी शिक्षा व्यवस्था को अंग्रेजों ने कमजोर कर दिया था जिसे हमारे लोगों ने हमारे अनुकूल बनाने का कार्य किया हैं । NEP 2020 के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करने की योजना है जिससे शिक्षा व्यवस्था और अधिक भारतीयों के अनुकूल हो जायेगी ।
तकनीकी सत्र का संचालन चेयरपर्सन डॉ. आर.के. यादव एवं डॉ. मनोज कुमार की उपस्थिति में किया गया एवं संचालन मैडम ने किया। सत्र में कुल 6 प्रस्तुतकर्ता थे। श्रीमती गंगा भोला ने "उच्च शिक्षा में बाहरी और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन" पर प्रस्तुति दी जहां उन्होंने आईक्यूएसी के महत्व के बारे में बात की। श्रीमती बीना महतो ने एनईपी 2020 और उच्च शिक्षा पर प्रस्तुति दी और इसके प्रावधानों और चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया।
सत्र की अध्यक्षा डॉ. संध्या सिन्हा, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर रहीं। सत्र का संचालन डॉ. देबोप्रिया सरकार ने किया। संगोष्ठी को संबोधित करने वाले विभिन्न विश्वविद्यालयों के 6 रिसोर्स पर्सन थे। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभाव पर प्रकाश डाला और बहु-विषयक दृष्टिकोण की प्रासंगिकता का वर्णन किया। दर्शकों को NEP: 2020 के ज्ञान से समृद्ध किया गया।
तकनीकी सत्र में चेयर पर्सन डॉ. संजय भुईयां थे तथा को चेयर पर्सन कुमारी डॉ. कुमारी अनुराधा थी । समन्वयक के रूप में श्री विकास प्रसाद थे साथ ही रिर्पोटर के रूप में सुश्री जया रानी महतो थी । इस सत्र में भी लोगों ने अपना पेपर प्रेजेंट किया ।
राष्ट्रीय सेमिनार के पहले दिन आए गणमान्य अतिथि
1. डॉ के के शुक्ला निदेशक NIT
2. डॉ. आर के यादव
3. डॉ. मनोज कुमार
4. डॉ. संजय मिश्र
5. डॉ. संजय भुईयां
6. डॉ. संध्या सिन्हा
7. डॉ. मुकुल खंडेलवाल
इत्यादि थे साथ ही विश्वविद्यालय के सभी विभाग के सहायक प्राध्यापक तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।



